हिन्दी की उपभाषाएँ व बोलियाँ
- बोली : एक छोटे क्षेत्र में बोली जाने वाली भाषा बोली कहलाती है। बोली में साहित्य रचना नहीं होती
- उपभाषा : अगर किसी भाषा में साहित्य रचना होने लगती है और क्षेत्र का विस्तार हो जाता है तो वह बोली न रहकर उपभाषा बन जाती है।
- भाषा : साहित्यकार जब उस उपभाषा को अपने साहित्य के द्वारा परिनिष्ठत सर्वमान्य रूप प्रदान कर देते हैं तथा उसका और क्षेत्र विस्तार हो जाता है तो वह भाषा कहलाने लगती है।
एक भाषा के अंनर्गत कई उपभाषाएँ होती हैं तथा एक उपभाषा के अंतर्गत कई बोलियाँ होती है। हिन्दी क्षेत्र की समस्त बोलियों को 5 वर्गों में बाँटा गया है। इन वर्गों को उपभाषा कहा जाता है। इन उपभाषाओं के अंतर्गत ही हिन्दी की 18 बोलियाँ आती है।
उपभाषा
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बोलियाँ
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मुख्य क्षेत्र
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राजस्थानी
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मारवाड़ी (पश्चिमी राजस्थानी), जयपुरी या ढुढाडी (पूर्वी राजस्थानी), मेवाती (उत्तरी राजस्थानी), मालवी (दक्षिणी राजस्थानी)
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राजस्थान
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पश्चिमी हिन्दी
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कौरवी या खड़ी बोली, बाँगरू या हरियाणवी, ब्रजभाषा, बुंदेली, कन्नौजी
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हरियाणा, उत्तर प्रदेश
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पूर्वी हिन्दी
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अवधी, बघेली, छतीसगढ़ी
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मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश
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बिहारी
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भोजपुरी, मगही, मैथली
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बिहार, उत्तर प्रदेश
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पहाड़ी
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कुमाऊँनी, गढ़वाली, नेपाली
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उत्तराखण्ड, हिमांचल प्रदेश
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Nice... also check GK in Hindi
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